सचिन के दोहे
सचिन के दोहे ??
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रमा राम भजते रहो, धरे रहो मन धीर।
कर्महीन बनना नही, होना नहीं अधीर।।
राह बुराई का तजो, करो पुण्य का काम।
सत्य राह चलकर मिले, जग में ऊँचा नाम।।
सचिन भला करना सदा, जीवन में हर बार।
बुरे कर्म का फल बुरा, जीवन होत लाचार।।
निर्धन का करना नहीं, भूले से अपमान।
रेत सा उड़ जायेगा, जन्मों का सम्मान।।
सचिन सदा भजते रहो, रमा राम का नाम।
पथ सुगम हो जायेगा, बनेंगे बीगड़े काम।।
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पं.संजीव शुक्ल “सचिन”