सखी
बात हुई तुमसे री सखी।
सारी बाते ही तुम्हे लिखी।
पर देखो किस्मत का फेर
सारी बातें कही और दिखी।
नाम तुम्हारा देख न पाया।
अति आनदं था मन समाया।
बस लिख दी सब मन की।
जिसने पढ़ा वो समझ न पाया।
मै सोचा तुम निष्टुर हो गई।
या भावो में कहीं पे खो गई।
जवाब नही आया कोई तुमसे।
देखा तो गलती मुझसे हो गई।