सखियाँ झूला झूलतीं
हरियाली लेकर पुन:, आया सावन मास !
सखियाँ झूला झूलतीं,मन मे भर उल्लास !!
यही सोच कर जोड़ती, सावन मे प्रभु हाथ !
झूलें झूला झूमकर,… . प्रियतम मेरे साथ ! !
झूलें झूला संग मे,….. यूँ मेरे चितचोर !
ज्यों राधा के साथ मे,झूलें नन्दकिशोर !!
रमेश शर्मा.