” संहारक “
केरल में हथिनि के साथ हुआ अक्षम्य – जघन्य अपराध किसी भी रुप में स्वीकार नही है…
ये मानव के रूप में हैवान हैं
इन्हें ज़रा नही मानवता का भान है ,
अपने जन्म को इन्होंने अस्वीकार दिया
कर्म ऐसा करके इसका इन्होंने प्रमाण दिया ,
जब जैसे को तैसा मिलता है
फिर खड़े खड़े क्या सोचता है ?
आओ उन दानवों को भी खाना दो
उन्हीं के अविष्कारों का उन्हीं को निवाला दो ,
उन सबको भी ऐसे ही
तड़प तड़प कर मर जाने देना ,
नही फिर कोई माई का लाल
मानवता का हवाला देना ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 03/06/2020 )