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7 Apr 2024 · 8 min read

*संस्मरण*

संस्मरण
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में रचनात्मक कार्य
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रामपुर (उत्तर प्रदेश) से 1979 में बी.एससी. करने के बाद शिक्षा की कुछ सीढियॉं आगे चढ़ने के उद्देश्य से मैंने एलएल.बी. करने का विचार किया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में प्रवेश मिल गया। वहॉं डॉक्टर भगवान दास छात्रावास में कमरा नंबर 42 मुझे मिला। एलएल.बी. की पूरी पढ़ाई के दौरान यही कमरा संख्या 42 मेरे पास रहा।

जब मैं डॉक्टर भगवान दास छात्रावास में रहने के लिए गया तो छात्रावास में प्रवेश करते ही दाहिनी ओर एक बड़े से कमरे के बाहर ‘अध्ययन कक्ष’ लिखा हुआ था। कमरा बंद रहता था। मैंने सहपाठियों से मालूम किया तो पता चला कि यह अखबार आदि के लिए आवंटित कक्ष है। मेरे मन में आया कि क्यों न यहॉं वाचनालय शुरू किया जाए। मैंने वार्डन कक्ष में जाकर वहॉं उपस्थित वार्डन महोदय श्री वी.पी. मगोत्रा जी से बात की। उन्हें लिखित पत्र देकर वाचनालय की जिम्मेदारी संभालने का आश्वासन दिया। उन्होंने मुझे स्वीकृति प्रदान कर दी।
दिनांक 29 – 7- 80 का उनका स्वीकृति-पत्र इस प्रकार है:-
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dated 29 – 7 – 80
My dear Prakash
This is in reference to your application dated 26-7-80 addressed to me for providing facilities of reading room. I greatly appreciate your proposal and congratulate you for taking up this noble job. I also congratulate your Parishad for Undertaking and providing the residents much needed academic atmosphere in the hostel. This is possible only with the active cooperation of the residents. In the past the hostel administration endeavoured in this direction but it got very poor response from the residents. I am very happy that you along with some of your energetic friends have come forward.
On behalf of the hostel administration I assure you that you will get full cooperation. I have instructed Shri D.R Gupta our clerk and Shri Ram Rati Ram peon to provide you all that is needed in the reading room. If you have still difficulties you are always welcome.
With good wishes
yours sincerely
V. P. Magotra
Warden in chief
Dr Bhagwan Das Hostel
🪴🪴
वार्डन महोदय श्री वी.पी. मगोत्रा जी के पत्र का हिंदी रूपांतरण इस प्रकार है:-

प्रिय रवि प्रकाश
आपके 26 – 7 – 80 के पत्र के संदर्भ में जो आपने रीडिंग रूम की सुविधा उपलब्ध कराने के संबंध में मुझे लिखा था, मैं आपके प्रस्ताव की प्रशंसा करता हूं और इस सुंदर कार्य को अपने हाथों में लेने के लिए आपको बधाई देता हूं।
आपकी परिषद भी बधाई की पात्र है जिसने इस कार्य के आर्थिक दायित्व को उठाया है तथा हॉस्टल में एकेडमिक वातावरण को बनाने के लिए कार्य किया है।
यह सब केवल छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थियों के सहयोग से ही संभव है। अतीत में भी हॉस्टल प्रशासन ने इस दिशा में प्रयत्न किया था लेकिन छात्रावास निवासियों का उत्तर अच्छा नहीं रहा। मुझे खुशी है कि आप अपने ऊर्जावान साथियों के साथ इस दिशा में आगे आए हैं। छात्रावास प्रशासन की ओर से मैं आपको पूरे सहयोग का आश्वासन देता हूं। मैंने अपने क्लर्क श्री डी. आर. गुप्ता जी तथा कर्मचारी श्री राम रती राम को आपको रीडिंग रूम के संबंध में समस्त सुविधा उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित कर दिया है। फिर भी आपको कोई दिक्कत आए तो आपका सदैव स्वागत है। शुभकामनाओं सहित
आपका
वी. पी. मगोत्रा
वार्डन इंचार्ज
डॉ भगवान दास छात्रावास
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यह एक अत्यंत उत्साहवर्धक सहयोग था, जो मुझे छात्रावास प्रशासन की ओर से मिला। तुरंत मैंने अध्ययन कक्ष शुरू कर दिया। इसमें विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाएं जिसमें प्रतियोगिता से संबंधित लाभदायक पत्रिकाएं भी शामिल थीं ,रखी जाती थीं ।यह उपरोक्त सारा कार्य काशी छात्र परिषद के तत्वावधान में शुरू हुआ। अपने कार्य को चलाने के लिए मुझे व्यक्ति के स्थान पर एक संस्था की आवश्यकता जान पड़ी। मैंने उसका नामकरण काशी छात्र परिषद किया। यह अच्छा नाम था। इससे विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि प्रकट हो रही है। काशी नाम हजारों साल पुराना है और छात्र परिषद इस विचार और भावना के साथ जोड़कर कार्य करने वाला संगठन था।
जो पत्रिकाएं हमने रखी उनके नाम नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान टाइम्स, धर्मयुग, कदंबिनी, कंपटीशन सक्सेस रिव्यू तथा प्रतियोगिता दिग्दर्शन आदि पत्र पत्रिकाएं थीं ।छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थी रोजाना शाम को यहां बैठते थे। पत्र-पत्रिकाएं पढ़ते थे और चले जाते थे। अध्ययन कक्ष का समय सायं काल 5:30 बजे से 6:30 तक का था। रोजाना एक घंटे मैं अध्ययन कक्ष के लिए समय देता था। इस समय का अखबार आदि पढ़ने में भी सदुपयोग हो जाता था।
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जब काशी छात्र परिषद को डॉक्टर भगवान दास छात्रावास में रीडिंग रूम चलाते हुए छह महीने हो गए, तब हमने उसे समारोह पूर्वक मनाया । वार्डन महोदय की शुभकामनाएं प्राप्त कीं। वार्डन श्री वी.पी. मगोत्रा के साथ-साथ भूतपूर्व वार्डन तथा विधि संकाय के प्रवक्ता श्री विशंभर सिंह चौहान तथा प्रशासकीय संरक्षक महोदय श्री शीतला प्रसाद राय के भी शुभकामना संदेश हमें प्राप्त हुए।
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वार्डन महोदय श्री वी.पी. मगोत्रा जी ने 31- 1- 81 के अपने पत्र में लिखा:-

31-1-81
My dear Ravi Prakash
It gives me great pleasure to Congratulate you and your energetic friends on the completion of 6 month of your cultural, literary and academic activities in this hostel through Kashi Chhatra Parishad. Extra curricular activities are as important and conclusive to the development of personality as curiecular activities. There is a need for creating an atmosphere for such activities more so in a hostel. At a time when student community in India is fast losing certain values ethical and moral and is tending towards certain Anti social values, the need for such an atmosphere in a hostel becomes all the more important.
You and your group has contributed much for creating a desirable atmosphere in the hostel by starting a reading room and organising weekly debates, symposia etc. I am sure you will be in a position to give a definite direction to the hostel residence. In this journey you will always find me with you.
I wish you more success in the days to come.
your sincerely
V.P. Magotra
31- 1 – 81
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पत्र का हिंदी रूपांतरण इस प्रकार है:-

दिनांक 31 जनवरी 1981
प्रिय रवि प्रकाश
मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि आपने और आपके ऊर्जावान साथियों ने काशी छात्र परिषद के माध्यम से सांस्कृतिक, साहित्यिक और शैक्षिक गतिविधियों के इस छात्रावास में छह माह पूरे कर लिए हैं। पाठ्यक्रम से हटकर चलने वाली गतिविधियां भी व्यक्तित्व के निर्माण के लिए उतनी ही आवश्यक हैं, जितनी पाठ्यक्रम संबंधी गतिविधियां होती हैं। छात्रावास में इस प्रकार की गतिविधियों के माध्यम से अच्छा वातावरण बनाने की आवश्यकता और भी ज्यादा हो जाती है। आज के समय में जब छात्र समुदाय कतिपय नैतिक मूल्य को खो रहा है और असामाजिक विचारों की ओर प्रवृत्त हो रहा है, तब इस प्रकार के अच्छे वातावरण का छात्रावास में निर्माण और भी ज्यादा आवश्यक हो जाता है।
आपने और आपके समूह ने छात्रावास में रीडिंग रूम चालू करके तथा साप्ताहिक वाद-विवाद, सेमिनार आदि के आयोजन से जो वातावरण बनाया है, वह आवश्यक है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप छात्रावास के निवासियों को एक अच्छी दिशा देने में समर्थ सिद्ध होंगे। इस यात्रा में आप मुझे हमेशा अपने साथ पाएंगे।
भविष्य में आपकी अधिकाधिक सफलता के लिए मेरी शुभकामनाएं।
आपका
वी.पी. मगोत्रा
31- 1- 81
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डॉ भगवान दास छात्रावास के प्रशासकीय संरक्षक श्री शीतला प्रसाद राय का शुभकामना पत्र इस प्रकार है:-

श्री रवि प्रकाश
संयोजक काशी छात्र परिषद कमरा संख्या 42
डॉक्टर भगवान दास छात्रावास
काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी
दिनांक 5 फरवरी 1981
प्रिय रवि प्रकाश
यह बड़े हर्ष का विषय है कि काशी छात्र परिषद डॉ भगवान दास छात्रावास में अपने विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से छात्रों में पठन-पाठन, विचार विमर्श तथा विभिन्न समसामयिक विषयों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने का प्रयास करती रही है। साथ ही साथ हमें यह भी विश्वास है कि यह संस्था भविष्य में भी अपने रचनात्मक प्रयासों के द्वारा छात्रों के व्यक्तित्व को निखारने का प्रयास करती रहेगी। इस दिशा में अपनी सीमाओं के अनुरूप हमसे जो सहयोग संभव होगा, देता रहूंगा।
अंत में आपके इस संस्था के लिए मैं यह शुभकामना करता हूं कि यह अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल हो।
शीतला प्रसाद राय प्रशासकीय संरक्षक डॉक्टर भगवान दास छात्रावास
काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी
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श्री विशंभर सिंह चौहान प्रवक्ता विधि संकाय, भूतपूर्व प्रशासकीय वार्डन डॉक्टर भगवान दास छात्रावास का भी शुभकामना पत्र प्राप्त हुआ। पत्र इस प्रकार है:-
दिनांक 5 – 2 – 1981
श्री रवि प्रकाश
संयोजक काशी छात्र परिषद
कक्ष संख्या 42
डॉक्टर भगवान दास छात्रावास
काशी हिंदू विश्वविद्यालय
प्रिय रवि प्रकाश
आपका दिनांक 27- 1- 81 का पत्र प्राप्त हुआ। मुझे यह जानकर खुशी है कि काशी छात्र परिषद डॉ भगवान दास छात्रावास में अपनी रचनात्मक, सांस्कृतिक तथा सक्रिय छात्र गतिविधियों के छह माह पूरे कर रहा है और आपके सफल संयोजकत्व में इस छात्रावास के अध्ययन केंद्र का सफलतापूर्वक संचालन किया।
आपके तथा आपके सहयोगियों के प्रयासों ने मेरे इस विश्वास को और सुदृढ़ कर दिया कि मनुष्यता पर भरोसा नहीं छोड़ना चाहिए। वह समुद्र है। सागर की कुछ बूॅंदे यदि गंदी भी हो जाएं तो उससे पूरा समुद्र गंदा नहीं हो जाता है।
आजकल विश्वविद्यालय में जैसी अशोभनीय घटनाएं घटित होती हैं, उनसे शिक्षा जगत कलंकित होता है। आज देश के समक्ष राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय समस्याएं हैं। उनकी गुरुता स्पष्ट न समझ कर यदि अनुचित और अविवेकपूर्ण कार्य किए जाएं तो इससे बढ़कर दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है ? शिक्षा मंदिरों के पवित्र वातावरण और सरस्वती मंदिरों के साधना स्थलों को अशिष्ट एवं अभद्र आचरण से अपवित्र किया जाना अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है ।
इन विषम परिस्थितियों को सुधारने की आवश्यकता है और मुझे विश्वास है कि आप जैसे युवक जो उन्नति के लिए इतिहास को दोहराने के बजाय नए इतिहास के निर्माण का साहस रखते हैं, अवश्य ही वर्तमान परिस्थितियों में सुधार ला सकते हैं। नि:संदेह सुधारक के मार्ग में गुलाब के फूल नहीं कांटे बिछे होते हैं, जिन पर उसे सावधानी से चलना पड़ता है। मैं यह आशा करता हूं कि पार्थसारथी की तरह आप तथा आपके सहयोगी काशी छात्र परिषद संस्था के संचालक तथा रक्षक की हैसियत से इस संस्था के माध्यम से महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के सपनों को साकार करने तथा वर्तमान अविनय और अवज्ञा के वातावरण को बदलकर गुरु-शिष्य के पवित्र संबंध को सबल अवलंब प्रदान करने में सफल हो सकेंगे। मेरा सहयोग तथा मेरी शुभकामनाएं सदैव आपके साथ होगी ।
विशंभर सिंह चौहान (प्रवक्ता विधि संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय)
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छात्रावास में अध्ययन कक्ष को चलाने के साथ-साथ हमने साप्ताहिक विचार गोष्ठियां भी शुरू की थीं । इनमें विधि संकाय के रीडर श्री सी. एम. जरीवाला साहब की उपस्थिति में भी कार्यक्रम रखा था। प्राय: किसी न किसी वार्डन महोदय अथवा विधि संकाय के अध्यापक महोदय को मुख्य अतिथि के रूप में हम लोग आमंत्रित अवश्य करते थे।

काशी छात्र परिषद को सक्रिय सहयोग जिन साथियों का मिला, उनमें सर्व श्री चंद्रशेखर उपाध्याय, राजेंद्र प्रसाद, रविकांत चौबे, बैकुंठ नाथ बरनवाल, सत्यनारायण राय, मोहम्मद हुसैन आदि रहे।
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दिनांक 13 – 4 -1982 को मुझे भागलपुर विश्वविद्यालय के अंतर्गत साहिबगंज महाविद्यालय में वाद विवाद प्रतियोगिता में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। एक वर्ष के लिए विश्वविद्यालय का यह प्रतिनिधित्व प्राप्त हुआ था।
—————————-
लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज) रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
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