संस्मरण (हास्य) नारदमुनी दोस्त
दिनांक 13/4/19
बात आज से 45 साल पुरानी है । मैं भोपाल में 9 वी में पढता था । स्कूल से कुछ दूरी पर सिनेमा हाल था , उस समय
” दोस्ती ” पिक्चर आई थी उसमें दो दोस्तों की कहानी है ।
” मेरी दोस्ती मेरा प्यार ” बहुत हिट हुआ था ।
अब क्लास के दोस्तों में यह होड़ थी कि अपने दोस्तों के साथ वह पिक्चर देखने जाएँ ।
हमारी क्लास में एक लड़का नारदमुनी का काम करता था ।
एक बार जब क्लास के 8-10 लडके पिक्चर गये थे तब उसने क्लास टीचर को यह खबर कर
दी । क्लास टीचर ने स्कूल के तीन चार दूसरे टीचर्स लिए और स्कूल के आसपास छाडियों से डंडियाँ तोड़ी फिर दोपहर 2 बजे खत्म होने वाले शो पर टाकीज के गेट पर खड़े को कर क्लास के लड़को को पकड़ पकड कर अलग अलग किया और घेर कर स्कूल लाए और प्राचार्य के सामने पेश किया और उनके पिता को बुलवाया और सबने माफी मांगी तब उन्हें छोड़ा । इससे दोस्तों की दोस्ती और मजबूत हो गयी जो
इतने दिनों बाद आज भी चल रही है । और जो लड़का नारदमुनी करता था उसे अर्ध्द वार्षिक परीक्षा में नकल न करवाई , न करने दी ।
उसे सप्लीमेंटरी आई फिर उसने सब लड़को से माफी मांगी ।
अब बाकी लड़को ने स्कूल से बंक नहीं मारने और उस लडके ने नारदमुनी नही करने , पढाई करने और नकल नहीं करने का संकल्प लिया ।
सच में उस समय बहुत मजा आया था ।
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल