संस्मरण- प्रियजन से बिछड़ने का दुख
अपने किसी प्रियजन से बिछड़ने का दुख वही समझ सकता है, जिसने कभी ना कभी अपने बहुत ही अनमोल रिश्ते को खोया हो।हाँलाकि हर व्यक्ति के जीवन में कोई ऐसा पल जरुर आता है जब उसे अपने किसी प्रियजन से बिछड़ना ही पड़ता है।
भाई-बहन का रिश्ता बड़ा ही अनमोल रिश्ता होता है।भाई-बहन के प्रेम को जुड़ी जब भी कोई बात आती है तो खुद-ब-खुद बरबस ही आँखें छलक जाती है।कभी बचपन की बातों को याद करती हूँ तो वो सारी यादें आखों के सामने घूम जाती हैं जो हम भाई-बहनों ने साथ बिताई हैं।
मेरा छोटा भाई गौरव कहने को तो मुझसे छोटा था परंतु परिवार की हर जिम्मेदारी को उसने एक बड़े भाई की तरह ही निभाया।मुझे आज भी याद है की कैसे मेरी शादी में भाई ने सारी जिम्मेदारियां भाग-भागकर निभाई थी।विदाई के समय सामने ही नहीं आया और अंदर बैठकर छिप-छिप कर रोया।मेरी शादी के बाद जब भी किसी मौके पर मुझसे मिलने मेरी ससुराल आता तो उसके व्यवहार से यही लगता कि कितना बड़ा और समझदार हो गया है,मेरा भाई।जाते-जाते अपना प्रेम भरा हाथ मेरे सिर पर रख जाता।उसके जाने के बाद मेरे ससुराल पक्ष से भी सभी उसकी तारीफ़ ही करते।
मेरी शादी के करीबन ढाई साल साल बाद उसकी भी शादी हो गई।हमें अब तो अपनी प्यारी सी भाभी मीनू मिल गई थी।हमारा घर खुशियों से भर गया था।
मुझे याद है वो दिन ९अक्टूबर २००५ जब मेरा बेटा हुआ तो उसने मामा बनने की खुशी में सारे मदनपुर गाँव में मिठाई बांटी थी।बस यहीं से वक्त ने करवट ली।मुझे क्या पता था कि मैं अपने भाई को आज आखिरी बार देख रही हूँ ।
शायद विधि के विधान में यही लिखा था।११ अक्टूबर को भाई अपने दोस्तों के साथ बड़ा त्रिलोकपुर घूमने गया।वहाँ रास्ते मे किसी शिव मन्दिर जिसके चारों ओर पानी था उसमें करीबन ४ बजे सुबह तैराकी करने के लिए
छलांग लगा दी। उसका सिर तालाब के साथ बनी सीढ़ी पर लगा और पानी में दलदल अधिक होने के कारण वह उसमें धंसता ही चला गया।उसके फेफड़ों में तालाब का गंदा पानी भर गया और पाँच दिन तक पी•जी•आई• चंडीगढ़ में आई•सी•यू• में रखने के बाद भी हम उसे ना बचा सके।२२वर्ष की छोटी सी आयु में जब उसकी शादी को भी केवल ४ महीने ही हुए थे,वह इस दुनिया से अलविदा कह गया।
उसके जाते ही जैसे सब कुछ बिखर गया।आज उसे इस दुनिया से गए १५ वर्ष हो गए परंतु दुख के वो पल आज भी जहन में ताजा हैं।हर दर्द आज भी वैसा का वैसा ही हैं।अपने दुख से उभरने की कोशिश कर सकती हूँ पर दुख के इस मंजर को कभी भूला नहीं पाऊँगी।
✍माधुरी शर्मा मधुर
अंबाला हरियाणा।