संस्कृति
झुक कर अभिवादन करना
संस्कृति है मेरे देश की
माँ बाप के सुबह पाँव छूना
संस्कृति है मेरे देश की
दुश्मनों का भी बुरा यहां कोई चाहता नहीं
मुस्कुरा भर दे कोई तो उसे दुत्कारता नहीं
हंस कर दुश्मनों को गले लगाना
संस्कृति है मेरे देश की
पीठ में खंजर किसी की कोई घोपता नहीं
किसी और की चादर और कोई ओढता नहीं
अपनी चादर में औरों को सुलाना
संस्कृति है मेरे देश की
पड़ोसी मुल्कों को ये अहसास कराना होगा
माला छोड़ कर अब हथियार उठाना होगा
गुनाहगारों से निर्दोषों को बचाना
संस्कृति है मेरे देश की
झुक कर अभिवादन करना
संस्कृति है मेरे देश की
माँ बाप के सुबह पाँव छूना
संस्कृति है मेरे देश की
वीर कुमार जैन
28 अगस्त 2021