संस्कार
टीवी पर महाभारत सिरियल का प्रसारण पुनः शुरू हुआ था घर के बच्चे बुढ़े औरतें सभी फटाफट अपना अपना कार्य निपटा कर की वी के समक्ष आकर बैठ गए महाभारत में सभी को आदर पूर्वक शब्दों का उपयोग करते देख बारह वर्ष के पप्पु ने पुछा पापा हम इन लोगों की तरह पिताश्री माताश्री जैसे शब्दों का प्रयोग क्यों नहीं करते । तू और तुम से क्यों बात करते हैं
स्कूल में यही सिखाते हैं की बड़ों का आदर करना चाहिए ।
पिताजी ने कहा बेटा ये उस समय की बात है जब लोग आज की तरह पढ़ें लिखे नहीं थे और ज्यादा तर गांव में एक दूसरे से मिल जुल कर रहा करते थे एक-दूसरे के सुख-दुख के साथी हुआ करते थे उच्च शिक्षा नहीं थी पर सभ्यता और संस्कार पढ़ाए जाते थे
पुरा गांव एक परिवार की तरह रहता था मगर अंग्रेजी सभ्यता हमारे संस्कारों पर हावी होती रही और हम टूकडों में बंट कर अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूल गए ।
तो क्या हुआ पिताजी हम तो अपने घर से इसकी शुरुआत कर सकते हैं आज से मैं हर सुबह तैयार होकर सभी बड़ों को प्रणाम कर सभी बड़ों का आशिर्वाद लूंगा और उठकर सभी को प्रणाम किया दादा जी ने उसे गले से लगा लिया और सभी अपनी अपनी जगह से उठकर बड़ों को प्रणाम करने लगे ।लगा मानो आज भी अपने संस्कार जीवित है बस उन्हें दिल से अपनाने की जरूरत है।
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© गौतम जैन ®