संस्कार
पके है आम अब रोते, आओ कहां बालक तुम छोटे
कमाया खूब ही पैसा बन गए लेकिन अक्ल के खोते
लड़ते परिवार आपसे में ही अब तो संस्कार सब छूटे
खोई पीपल वट छैयां, सब ही तैलाया ताल हैं सूखे
पके है आम अब रोते, आओ कहां बालक तुम छोटे
कमाया खूब ही पैसा बन गए लेकिन अक्ल के खोते
लड़ते परिवार आपसे में ही अब तो संस्कार सब छूटे
खोई पीपल वट छैयां, सब ही तैलाया ताल हैं सूखे