संस्कार संस्कृति सभ्यता
संस्कार संस्कृति सभ्यता
आदर्श मानव बनाने की कला है।
प्रत्यक्ष उदाहरण में हमारे
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम लला है।
पढ़ना कढ़ना गढ़ना, अलग अलग सी बात है
पढ़ो कम,कढो़ अधिक, गढ़ना अति खास है।
जानना, चाहना, मानना, तीनों फर्क है।
अर्थ का अनर्थ निकालना, मुर्ख का कुतर्क है
कौन कहता सीता हरण, मां अग्नि प्रवेश है
बन बैठी प्रतिबिम्ब सीता,हर लिया लंकेश है।
छै शास्त्र चार वेद,अट्ठारह पुराणों का ज्ञाता
रावण क्या नादान है।
प्रभु सर बाण तजेउ भव तरहू, जो खरदुषण को बंधे ,वह भगवान है।।
मन महूं बंदी चरन सुख माना , रावण को पुर्ण रूपेण ज्ञान था।
किया भंजन धनुष शिव का,आदि पुरुष वह
मर्यादा पुरुषोत्तम राम था।
मन क्रम बचन मंत्र दृढ़ एहा, मुक्ति का द्वार है
भक्ति भाव दिल लगता नही,राम पालन हार है
किया हरण प्रतिबिम्ब का, लक्ष्मण था अनजान ।
मानव लीला करने लगे, श्री राम चंद्र भगवान।।
आदि शक्ति मां सीता,आदि पुरुष है राम
आदि ब्रह्म श्री राम का, जप ले सीता राम।।
हरण कौन कर सकता है सीता का,जो
आदि शक्ति भवानी है।
पंच कन्या महाशक्ति,उधर मंदोदरी रानी है।
अग्नि परीक्षा ना दी सीता, अग्नि से निकल आई थी।
नर लीला के वास्ते तन, अग्नि में जो वह छुपाई थी।
नर कहता सीता हरण, नारायण कहता लीला करण।
नर सही की नारायण सही,अब कीजिए टीकाकरण।।
=========जय श्री राम=================