संसार
संसार मे कितनी खुशियाँ व्याप्त थीं । संसार सुहानापन और अपनापन लिए था । गोमती अपने पति से कहती ॑ ऐसा लगता है कि संसार के सारे लोग हमारी मदद के लिए ही पैदा हुए हैं । ॑॑॑॑॑
गोमती के पति ने कहा ॑ हाँ भाग्यवान सब अपने ही भाग्य के बदलने का ही खेल हैै । ॑
कुछ ही महीने मे भाग्य ने करवट बदली और गोमती विधवा हो गयी ।
गोमती का संसार उजड़ने के बाद अब उसके लिये संसार में न तो खुशियाँ व्याप्त थी न तो सुहानापन ही न तो अपनापन ही था ।
समाप्त