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15 Nov 2020 · 1 min read

संसार

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जब तुम चेतना की निश्चितता को समझ लेते हो, तब तुम संसार की अनिश्चितता के साथ आराम से रह सकते हो। प्रायः व्यक्ति इसका बिल्कुल विपरीत करते हैं। वे संसार के प्रति तो निश्चित रहते हैं पर ईश्वर के प्रति अनिश्चित रहते हैं। जो अविश्वसनीय है, उस पर वे विश्वास करते हैं और फिर दुःखी हो जाते हैं।

अनिश्चितता स्थिरता के लिए लालसा पैदा करती है और इस संसार में परम स्थायी है- आत्मा।

संसार परिवर्तनशील है, आत्मा अपरिर्वतनशील। तुम्हें अपरिवर्तनशीलता पर विश्वास रखना है और परिवर्तन को स्वीकार करना है। यदि तुम निश्चित हो कि सब-कुछ ‘अनिश्चित’ है, तब तुम मुक्त हो। अज्ञानता के कारण अनिश्चितता, तनाव और चिंता लाती है।

सजगता के साथ अनिश्चितता, चेतना की उन्नत अवस्था और एक अटल मुस्कान लाती है !
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Language: Hindi
Tag: लेख
478 Views
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