संसार राम तुम बिन अब तो न चल सकेगा
संसार राम तुम बिन अब तो न चल सकेगा
अवतार फिर धरा पर लेना तुम्हें पड़ेगा
अब स्वार्थ की दिलों में बहने लगी नदी है
अच्छाई खो गई है चारों तरफ बदी है
माता पिता अकेले औलाद से न नाता
भाई को अपना भाई ही अब नहीं सुहाता
ये शूल नफरतों के यूँ बींधने लगे दिल
सपना न प्यार का अब कोई यहाँ पलेगा…..
संसार राम तुम बिन अब तो न चल सकेगा
अवतार फिर धरा पर लेना तुम्हें पड़ेगा
पथ से भटक हमारे सब मूल्य खो रहे हैं
इंसान से बदल हम हैवान हो रहे हैं
अब आचरण हमारे भी ऐसे व्याभिचारी
हावी है मोह माया मत ही गयी है मारी
धनवान आदमी पर संतोष धन नहीं है
चहुँ ओर है अँधेरा कैसे कदम बढ़ेगा …..
संसार राम तुम बिन अब तो न चल सकेगा
अवतार फिर धरा पर लेना तुम्हें पड़ेगा
मानव ने सुख की खातिर,कुदरत से खेल खेला
ले आया ज़िन्दगी में दुश्वारियों का रेला
इंसानियत नहीं अब ईमान की कमी है
चलता भी चाल शातिर असुरों सा आदमी है
विश्वास है हमें फिर बदलेगा दौर ये तब
इंसान जब तुम्हारे आदर्श पर चलेगा……
संसार राम तुम बिन अब तो न चल सकेगा
अवतार फिर धरा पर लेना तुम्हें पड़ेगा
4-04-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद