संसार, असत्य में समाया l
संसार, असत्य में समाया l
बस बद माया का, सरमाया ll
बड़ी ही व्यथा व्यथा, सत्य की दरिद्रता l
बसी बुद्धिहीनता, कहाँ है मानवता ll
मानव मन में महके, जो मानव मन मनाये l
मानव मन मरे मरे, जो मानव मन मिटाये ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न