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17 Aug 2022 · 1 min read

◆संसारस्य संयोगः अनित्यं च वियोगः नित्य च ◆

संसारस्य सत्तां च महत्तां च मत्वा एव त्रुटि:।संसार: न मया सह निवसति च न वयं संसारेण सह निवसाम:।यः वस्तु निरन्तर नश्वरः।तेन् सत्त्ता महत्ता च दानं केन प्रकारेण उचितं?यं भवतः स्व वस्तु कथयति ।सः किम् सर्वदा भवता सह निवसति।संसारस्य संयोगः अनित्यं च वियोगः नित्य च।अन्ते वियोगः शेषः भवति।

©®अभिषेक:पाराशर:

Language: Sanskrit
476 Views

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