संसद
अपनी संसद का नेताओं,इतना तो तुम ख्याल करो,
अपशब्दों का नहीं बोलने, में तुम इस्तेमाल करो ।
भारत का गौरव है संसद, इतना तो सम्मान करो ,
आपस में ही लड़कर इसको,मत जंगी मैदान करो ।
अपनी संसद मन्दिर मस्ज़िद ,चर्च और गुरुद्वारा है,
सबद अजान आरती प्रेयर,भारत प्रेम हमारा है।
अपने अधिकारों को भूलों, कर्तव्यों का भान करो।
तुम जिस कुर्सी पर बैठे, हो,उसका कुछ तो मान करो।
देश ही धर्म हम सबका है, दल बनकर क्यों लड़ते हो।
सीमाएं खुद तोड़ तोड़कर ,नियम भंग तुम करते हो।
नेताओं तुम भी सैनिक हो,नहीं तुम्हारी पर हद है।
कर्मस्थली मगर तुम्हारी, अपनी ये ही संसद है।
10-07-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद