गरिमा
संसद की गरिमा आज शर्मसार होके रह गई
राष्ट्र के हर शख्स की आंख रक्त होके रह गई
गैर मुल्क की जय के साथ ली गई जब शपथ
आइन भी संविधान की तार तार होके रह गई
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश