संवेदना
नित्य संवेदनाओ से घिरी
अस्तित्व विहीन अपरिपूर्ण
परिलक्षित सी #मैं ……..
■आह
प्यार के सारगर्भित रहस्य को छुपा
निश्चेतन , निष्प्राण सी शिलाखंड
न भावनाओ का आरोह न जज़्बातों
का कोई अवरोह …….
■मानो
जिंदगी की ग़ज़ल में
तार सप्तक के स्वर
राग मल्हार गाने की कोशिश
पर मन रूपी वीणा के अव्यवस्थित
से तार ………..
■विस्मित
न स्वर , न ताल , न वाद्य
फिर क्यों गुनगुनाने चली
जिंदगी के बेसुरे गीत को ….
मिशा