संवेदना सुप्त हैं
उनका कला प्रेम
दुर्लभ है
दर्द और वेदना
विषय है
दीवार पर टंगी
तस्वीर
इसका प्रमाण है
सभी ने कहा
इसमे
दर्द है, प्राण है.
किसी ने कहा
हृदय स्पर्शी
किसी ने कहा अद्भूत,..!
सभी अपनी अपनी
टिप्पणी दे रहे थे
गंभीरता का
आभास दे रहे थे ,
तब भी
मेरी नज़र
उस ईंट पर थी
जिस पर
तस्वीर टंगी थी,
जब तस्वीर की
भूरी भूरी प्रशंसा
हो रही थी,
वो ईंट
उधड़े हुए
पलस्तर मे
मुँह छिपा
रो रही थी
रे मानव
तू कितना महान है
कहीं दिखता तुझे
दर्द और प्राण है
और
कहीं तेरी
संवेदना सुप्त है
निष्प्राण है…..
नम्रता सरन “सोना”
भोपाल मध्यप्रदेश