संवेदना( वीर ज़वान)
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वीर ज़वानोकी
संवेदनाओ से तुमको
अवगत कराता हूँ
है ये भारत माता के सुपुत्र
अपनी सरहद के ख़ातिर
प्राणो की बलि दे जाते है,
हाथों में थामे,
हथियारों से सीमा पर,
नित पहरेदार बनकर,
फ़र्ज़ अदा कर जाते है।
सर्दी,गर्मी,आँधी,तूफ़ान
को सहकर डटे रहते
माँ के सम्मान ,सुरक्षा
के ख़ातिर
दुश्मनों से लड़ते-२
पीड़ा ये सहजाते है।
सीने पर गोली खाकर
निस्वार्थ देश की
रक्षा ये कर जाते है।
सम्मान का व्यवहार
हर जगह ये पाते है।
अमर होकर ,
हर देश में पूजे जाते है।
वीर ज़वानो की
संवेदनाओ से तुमको
अवगत कराता हूँ
स्वरचित एवं मौलिक-डॉ. वैशाली वर्मा✍🏻😇