संवेदना का सौंदर्य छटा 🙏
संवेदना का सौंदर्य 🙏
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दिल दिमाग तन मन मंदिर
सौन्दर्य श्रृंगारिक साज ताज
भाव भावना पुष्प कुसमित
नव पल्लव पल्लू सी सौंदर्य
अदभूत संवेदी चाल ढ़ाल
संवेदनशीलता जागरूकता
साज सज्जा श्रृंगार संवेदना का
रंग रंगीली भावना हो तब मानस
दिल मानस से मिल जाता जग में
मानसिक सुखदअनुभव आधारित
रोमांचित प्रफुल्लित जन गण मन
सौहार्द्र करुणामय मंगल गणतंत्र
सद्कर्म सदाचार संवेदनशीलता
मनोरंजन रंजन दुख सुख हर्ता
शुभकर्ता विघ्नहर्ता बन जाता है
संवेदना दिशाहीन जब होता है
विकट विराट श्रृंगार सजाता है
राजा रंक धूल से फूल हो जाता
काली घनघोर घटा संवेदना का
मंडराता तब घाती घात लगाता
सौंदर्य संवेदना वदसूरत हो जाता
निर्मोही माया श्रृंगारिक मन काया
मौन संवेदन पहन बेचैन मुहंखोटा
स्वयं तड़पता रहता व्याकुल जग में
क्रुर संवेदना भागे आगे-आगे पीछे
क़ानूनी सिंकंजा पकड़ जकड़ लेता
आह वेदना जेलासन ताज पहनता
काश ! ऐसा ना करता तो. . . . . .?
खुद से खुद बातें कर खुद कोस
बेअसर संवेदना प्रकट करता है
निखरा रूप सौदर्यश्रृंगार साज का
काली नकाव ढ़क लेता है औरों की
वेदना दर्द अनुभूति करुणा दया
धर्म कर्म आस्था संस्कार संवेदना
दिल यौवन सौंदर्य श्रृंगारिक छवि
मोहक रूप निखारता जन मन में
सहानुभूति भाई-चारा प्रेम संबंध
संवेदना का मौलिक निज संवाद
समझें करें प्राणी प्राणों से रिश्ता
हरी भरी हो पर्यावरणीय स्वच्छता
सुंदरता संवेदन संभावनाओं पर
नव सौंदर्य श्रृंगारिक हो संसार ॥
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तारकेशवर प्रसाद तरूण