संवेदनाओं का भव्य संसार
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम संवेदनाओं का भव्य संसार।
लंका का राजा रावण,सवंदेन विहीन पशुवत व्यवहार।
कौशल्या,सुमित्रा ममतामयी दिव्य स्वरूप
मंथरा भयी संवेदनविहीन,प्रभाव कैकयी बनी विवेकशून्य।
संवेदनाओं का पतन, दिया श्रीराम को वनवास गमन।
भरत दिव्य रुप,संवेदनाओं का भव्य स्वरूप,
भ्रात प्रेम से ह्रदय व्याकुल.. संवेदनाओं की विरह पीड़ा।
मन व्यथित, ह्रदय द्रवित वन गमन, लक्ष्मण गंभीर
राम अमृत मन सुख देने वाला,भ्रात मिलन का भाव मिलन… संवेदनाओं से भरपूर तन – मन।
रामचन्द्र जी के खड़ाऊं.. पूजे जो अमृत पुंज पाऊं
अमर है, संवेदनाओं का दिव्य,संसार श्री राम,सीता लक्ष्मण भरत माताओं का व्यवहार – – –
संवेदन विहीन रावण का राक्षसी व्यवहार.. करता था जो अत्याचार..
अमर है संवेदनाऐं, नष्ट सब संवेदविहीन।।।।