संवेदनाएं लिखता हूँ।
राजनैतिक सोच नहीं
अपनी संवेदनाएं लिखता हूँ।
मेरी संवेदनाएं आपसे भिन्न है
शायद भावनाएं और परिस्थितियां विभिन्न है।
या तो आप सही हो या हम
या हम दोनों सही हों।
आपके सोच विचारधारा से हमे एतराज नही
मुझे दो नसीहत, ये मुझे बर्दाश्त नहीं।
मैं राजनैतिक सोच नहीं
अपनी संवेदनाएं लिखता हूं।
खोखले आदर्शवाद अपरिपक्व तर्क
के भरोसे मुझे व्यर्थ ही ललकारते हो।
आपकी लाचारी आपकी निष्ठा समझता हूँ
मैं सत्य असत्य के मध्य लकीर बखूबी पहचानता हूँ।
आपके सोच जो है उसे उठाये रखना
गिरे सोच से कंहा जीत पाओगे।
शांत नदी सी शब्दो की निर्मल धारा को
अविरल बिना अवरोध बहने दो।
करोगो रुकावट या अवरोध संवेदनाओं का
तो बाढ़ का रूप धारण कर प्रलय मचाएगी।
रोकोगे तो,
शब्दो की बाढ़ आएगी, धार आएगी
और बहुत साफ-साफ
लिख दूंगा अंत में आपका नाम
और लिखकर उस पर कालिख पोत दूंगा।
फिर
शांति नहीं
युद्ध लिखूंगा
और
अपनी कलम की नोंक तोड़ दूंगा ।
राजनैतिक सोच नहीं
अपनी संवेदनाएं लिखता हूँ।