संविधान
घोषणा स्वतन्त्रता की हुई जब।
प्रारूप संविधान की बनी तब।
स्वतंत्रता मिली जब समूल सकल।
संविधान थी फूँकने को प्राण तत्पर सबल।।
निर्ममता की पराकाष्ठा से परिपूर्ण थी स्वतंत्रता संघर्ष।
संविधान का जब हुआ उत्कर्ष तब सबने स्वीकारा सहर्ष