संविधान पर्व
*** संविधान-पर्व (चौपाई) ***
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संविधान से अधिकार मिले,
जन-गण को मान-सम्मान मिले।
बाबा साहब लाख नमन है,
खुशियों का खिलाया चमन है।
जीवन का अधिकार दिलाया,
कर्तव्य भी निभाना सिखाया।
जाति-पाति का किया सफाया,
धर्मनिरपेक्ष का पाठ पढ़ाया।
महिलाओं को भी मान मिला,
नर के बराबर सम्मान मिला।
छुआछूत से आजाद हुए,
छोटे वर्ण सब आबाद हुए।
राजसी – प्रथा मूल मिटाया।
सोये हुओं को भी जगाया।
दासप्रथा बहुत घनी घातक,
संविधान ने बनाया ज्ञातक।
ज्ञान-ज्योति का है दीप जला,
अज्ञानता का अंधेर मिटा।
मनसीरत पुलकित हो जाता,
संविधान – पर्व गाथा गाता।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)