संविधान जलाया क्यूं
फिर संविधान जलाया तुमने
फिर ये बात बढ़ाई है।
जिसके कारण रहे सुरक्षित
उसको आग लगाई है
ख़ून में है गद्दारी तुम्हारे
ली जो यूं अंगड़ाई है
जिसके कारण रहे सुरक्षित
उसको आग लगाई है
…………….
अब तक क्यूं तुम चुप बैठे थे
जो ऐसा अब बोल रहे
संविधान की मूल गरिमा
जातिवाद से तौल रहे
इसी संविधान सहारे
देश चलाया जाता है
दुनिया में सबसे अच्छा
संविधान बताया जाता है
फिर तेरी औकात ही क्या थी
जो ये आग सुलगाई है
जिसके कारण रहे सुरक्षित
उसको आग लगाई है
……..…..…
सरकारी कानून हैं ढ़ीला
वर्ना नहीं ऐसा होता
गद्दारों के हाथ कभी
संविधान ना अपमानित होता
कहीं तोड़ते प्रतिमाएं
ये तो बाबा साहेब की
प्रथम कानून मंत्री
बहुजनो के नायक की
देशद्रोहीयो को देख अब
मां भारत शरमाई है
………….
जिसके कारण रहे सुरक्षित
उसको आग लगाई है
…………
कहीं बराते रोकी जाती
कहीं मूंछों पै लड़ाई है
कहीं रोक है शिक्षा पर
कहीं मंदिर पै पिटाई है
कहीं लूटती लाज खुलें में
कहीं बस्तियां जलाई है
बहुजनो पै बोलो क्यूं
इतनी आफ़त आई है
हिन्दू कहकर शूद्र बताते
शर्म तनिक नहीं आई है
……………
जिसके कारण रहे सुरक्षित
उसको आग लगाई है
……….
बार बार इन कुकर्मों से
बहुजन ताक़त आंक रहे
कभी दलित कभी मुस्लिम के
घर के अंदर झांक रहे
साज़िश छोटी नहीं ये यारों
थोड़ा सा संज्ञान करो
एक सूत्र में बंधकर तुम भी
जालिम का संहार करो
अपनी ताकत अपनी एकता
मिलकर अब दिख लाना है
होना है जो हो जाएं
अब इंकलाब को लाना है
वर्ना उसको आग लगा दो
जिसने आग लगाई है
………
जिसके कारण रहे सुरक्षित
उसको आग लगाई है
………
कब तक ऐसा होता रहेगा
हमें बताओ राजा जी
दो बार संविधान जलाया
बोले नहीं क्यूं राजा जी
अब से पहले इतनी हिम्मत
कभी कोई ना कर पाया
गद्दारों को जला रही है
संविधान की क्यूं छाया
भारत मां संविधान को पाकर
देखो “सागर” मुस्कराई है
……….
जिसके कारण रहे सुरक्षित
उसको आग लगाई है
…………
जनकवि/ बेखौफ शायर
डॉ.नरेश कुमार “सागर”
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प्रदेश अध्यक्ष कलमकार संघ (मिशन सुरक्षा परिषद)उ.प्र.
इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड से सम्मानित