संवाद हीनता
संवादहीनता के ऊपर से ………….
आखिर हो क्या रहा है ,,,,,,,,,,,
संवाद शून्य होते जा रहें हैं
हम प्रगति कर शुन्य पर …
प्रगति का अर्थ सिफर,,,,
समय की कमी ,,भावों का टोटा ,,
संवेदनहीनता ,,आंसू के अक्षर बोने पर प्रतिबन्ध
धुंए में नहाते हुए शब्द ,,,,बोनी विचारो की फसल …..
वाक्यों की जगह प्रयुक्त होते शब्द ,,,शब्दों की जगह लेते अक्षर …..
पढ़े लिखे होकर भी होते जा रहे हैं बदतर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
न आदर न सम्मान ,,,,,,मोबाइल और न जाने क्या क्या महान …
आखिर क्या है ,,क्या वर्तमान पीढ़ी की यही दवा है ,,,
ऐसे समय में सभी बड़ो की महती जिम्मेदारी बढ़नी चाहिए ,,,
बच्चे चरण स्पर्श भले न करे पर बिना कहे भाव होना चाहिए ,,,
नहीं तो इतिहास हमें क्षमा नहीं करेगा ..
बड़े होकर इसी संवेदनहीनता में और विष भरेगा ,,,,