कुछ लोग मुझे इतना जानते है की मैं भी हैरान हूँ ।
सुस्ता लीजिये - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
if you love me you will get love for sure.
भीतर की प्रकृति जुड़ने लगी है ‘
कितनी शिद्दत से देखा होगा मेरी नज़रों ने
कवि को क्या लेना देना है !
ग़ज़ल _ हाले दिल भी खता नहीं होता ।
सबका अपना दाना - पानी.....!!
सांसें स्याही, धड़कनें कलम की साज बन गई,
जीवन में जब तक रहें, साँसें अपनी चार।
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*बचकर रहिए ग्रीष्म से, शुरू नौतपा काल (कुंडलिया)*
नए साल के ज़श्न को हुए सभी तैयार
नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा
दो अपरिचित आत्माओं का मिलन