कुछ प्रेम उत्सव नहीं मना पाते
परमपूज्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज
अर्थ में प्रेम है, काम में प्रेम है,
*अमरीका से डर रहे, दुनिया के सब देश (कुंडलिया)*
चाहे अकेला हूँ , लेकिन नहीं कोई मुझको गम
आत्मनिर्भर नारी
Anamika Tiwari 'annpurna '
हमें तो देखो उस अंधेरी रात का भी इंतजार होता है
"पुरे दिन का सफर कर ,रवि चला अपने घर ,
मौसम किसका गुलाम रहा है कभी
फ़क़्त ज़हनी तवाज़ुन से निकलती हैं तदबीरें,
How do you want to be loved?
कालू भैया पेल रहे हैं, वाट्स एप पर ज्ञान