संयुक्त परिवार
1.
जीवन में संतुलन का , करें सतत व्यवहार ।
संयुक्त परिवार सधे , ऐसा ये आचार ।
सतत संतुलन साधना , प्रेरक बनती मीत —
युक्त परिवार की यही , नींव बने आधार ।
2.
ईश्वर ने सौंपे हमें ,उपयोगी आधार ।
मात पिता छोटी बहन, और युक्त परिवार।
प्रकृति,अन्न सह वायु ,जल ,मिली खरी सौगात-
इक दूजे सहयोग से , चले युक्त घरबार ।।
3.
माँ ने कंगन दे दिए , पुत्र वधू से आस ।
बढ़ा युक्त परिवार को, सदा बनाएँ खास ।
अब तक जो इज्जत रही, उसे बढ़ाएँ सोच–
युक्त परिवार बना रहे , बढ़े हृदय विश्वास ।
4.
बिना समर्पण मेल के , दूर युक्त परिवार ।
सुबह,शाम अरु दोपहर, होती हो तकरार ।
संयुक्त परिवार ढहें , कुँठा द्वेष की गाज —
साथ साथ रहना कठिन , झुकने से इंकार ।
5.
दृश्य संयुक्त परिवार के, कहाँ बचे अब मित्र ।
छोट परिवार बढ़ रहे , पृथक भाव के चित्र ।
साथ साथ के मन्त्र से , साधे सारे काज —
बच्चे पालक तक अलग , स्थिति है बड़ी विचित्र।
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प्रबोध मिश्र ‘ हितैषी ‘
बड़वानी (म. प्र . ) 451 551