संयम
श्रम ,संयम की वंदना, करता जा तू कर्म।
कर्म करे किस्मत बने, जीवन का यह मर्म।।
जीवन के हर क्षेत्र में, संयम है अनिवार्य।
मंजिल चूमेगी कदम, पूरे होगे कार्य।।
संयमीत रह कर करें,जग के सारे काज।
अक्सर जाता है बहक, चंचल मनुज मिजाज।।
संयम का पालन करें, मिटे रोग संताप।
नित्य नियम अभ्यास से, निर्मल होते आप।।
संयम उतना ही रखें, जितना हो अनिवार्य।
चुप रहकर अन्याय को, करे नहीं स्वीकार्य।।
-लक्ष्मी सिंह