संबंधों की तुरपाई
पुरानी दोस्ती को
इस नई ताकत से मत तोलो
ये संबंधों की तुरपाई है
षड्यंत्रों से मत खोलो
बहुत तो तुमने खेल लिया
खेल ये अपने पराए का
स्नेह प्रेम के इस बंधन को
छल और कपट से मत तोलो
लग गया पैबंद इस कपड़े पर
क्या करोगे फिर बोलो
ना कर पाए समय पर तुरपन
क्या करोगे फिर बोलो
ना जाने कितने वस्त्रों को
बर्बाद इन्होंने कर डाला है
अहंकार और ईर्ष्या को
किरदार से अपने से दूर कर लो
इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश