Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Mar 2024 · 1 min read

संन्यास के दो पक्ष हैं

संन्यास के दो पक्ष हैं
प्रेम और ध्यान…
जहां संन्यास है,
वहीं प्रेम है, वहीं ध्यान है
ध्यान का अर्थ है
अकेले में आनंदित होना
एकांत में भी रसमग्न
हो पाना
प्रेम का अर्थ है
साथी के संसर्ग में
आनंदित होने की क्षमता
ध्यान , जैसे एक वाद्य
अकेले इस्तेमाल हो
वहीं..
प्रेम, जैसे एकाधिक वाद्यों का
एक साथ लयबध्य होना.

हिमांशु Kulshrestha

203 Views

You may also like these posts

बस तेरे होने से ही मुझमें नूर है,
बस तेरे होने से ही मुझमें नूर है,
Kanchan Alok Malu
क्या कहूँ
क्या कहूँ
Ajay Mishra
दोहा पंचक - परिवार
दोहा पंचक - परिवार
sushil sarna
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
Kumar lalit
संस्कार
संस्कार
Kanchan verma
रूप श्रंगार
रूप श्रंगार
manjula chauhan
" नैतिकता "
Dr. Kishan tandon kranti
पल पल दिल के पास तुम रहती हो
पल पल दिल के पास तुम रहती हो
Johnny Ahmed 'क़ैस'
सरिता मंजिल
सरिता मंजिल
C S Santoshi
घायल मेरा प्यार....!
घायल मेरा प्यार....!
singh kunwar sarvendra vikram
नव वर्ष आया हैं , सुख-समृद्धि लाया हैं
नव वर्ष आया हैं , सुख-समृद्धि लाया हैं
Raju Gajbhiye
खैर जाने दो छोड़ो ज़िक्र मौहब्बत का,
खैर जाने दो छोड़ो ज़िक्र मौहब्बत का,
शेखर सिंह
मजदूर दिवस मनाएं
मजदूर दिवस मनाएं
Krishna Manshi
*महिलाओं के रूप*
*महिलाओं के रूप*
Dushyant Kumar
विषय-हारी मैं जीवन से।
विषय-हारी मैं जीवन से।
Priya princess panwar
श्री गणेश भगवान की जन्म कथा
श्री गणेश भगवान की जन्म कथा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चल चित्र का संसार
चल चित्र का संसार
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
युग युवा
युग युवा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
************ कृष्ण -लीला ***********
************ कृष्ण -लीला ***********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हार मैं मानू नहीं
हार मैं मानू नहीं
Anamika Tiwari 'annpurna '
18. Birthday Prayers
18. Birthday Prayers
Ahtesham Ahmad
बचपन फिर लौट कर ना आया
बचपन फिर लौट कर ना आया
डॉ. एकान्त नेगी
...
...
*प्रणय*
देश की वसुंधरा पुकारती
देश की वसुंधरा पुकारती
कार्तिक नितिन शर्मा
*परिवार: सात दोहे*
*परिवार: सात दोहे*
Ravi Prakash
डोमिन ।
डोमिन ।
Acharya Rama Nand Mandal
हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है।
हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है।
अनिल "आदर्श"
"सबकी नज़रों में एकदम कंगाल हूँ मैं ll
पूर्वार्थ
कैसा अजीब है
कैसा अजीब है
हिमांशु Kulshrestha
"भेड़ चाल"
Khajan Singh Nain
Loading...