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4 Dec 2021 · 1 min read

संध्या चली आई

***संध्या चली आई (गीत)***
************************

धीरे – धीरे संध्या चली आई,
सूर्यास्त पर किरणों को विदाई।

सूरजमुखी सा सुनहरी सवेरा,
मिट जाता रात का अंधियारा,
दिन की शुरुआत होने है आई।
सूर्यास्त पर किरणों की विदाई।

सूर्य का ताप बढ़ता चला जाए,
दोपहरी की गर्मी तन झुलसाए,
सर्द ऋतु में शीतलता है घटाई।
सूर्यास्त पर किरणों को विदाई।

पेड़ों की छाया होती है गहरी,
सांवली संध्या बनती है प्रहरी,
तमस में होने लगती गहराई।
सूर्यास्त पर किरणों को विदाई।

मनसीरत अंधेर है गहराया,
काली घनघोर रात्रि का साया,
दिन-रात की कहानी है सुनाई।
सूर्यास्त पर किरणों की विदाई।

धीरे – धीरे संध्या चली आई।
सूर्यास्त पर किरणों की विदाई।
************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Like · 222 Views
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