Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2023 · 1 min read

संदेशा

संदेशा
********
दिनकर ने फैलाई आभा,
किरणें देखो जगमगाई।
स्वर्णिम चादर ओढ़ीं नदियाँ,
जीवन संदेशा ले आई।

धूप करे उर्जा संचार ,
इससे मिलता धरा को प्राण।
पशु- पादप सब हर्षाएं,
जीवन पाता यह संसार।

पृथ्वी करती सूर्य परिभ्रमण,
रितुओं का देखो परावर्तन।
ग्रीष्म में यह धूप सताए,
शरद रितु में हर मन को भाए।

दिन रात की अजब पहेली,
कभी दिन बड़े ,कभी रातें गहरी।
सुबह उदित हो साँझ ढल जाए,
सुख-दु:ख सी आए और जाए।

—मनीषा सहाय सुमन

434 Views

You may also like these posts

राम अवध के
राम अवध के
Sanjay ' शून्य'
दुनिया इतनी बड़ी किताब है
दुनिया इतनी बड़ी किताब है
Indu Singh
चलते हैं क्या - कुछ सोचकर...
चलते हैं क्या - कुछ सोचकर...
Ajit Kumar "Karn"
ऐसा तूफान उत्पन्न हुआ कि लो मैं फँस गई,
ऐसा तूफान उत्पन्न हुआ कि लो मैं फँस गई,
Chaahat
गीतिका
गीतिका
Mahesh Jain 'Jyoti'
सरकारी जमाई -व्यंग कविता
सरकारी जमाई -व्यंग कविता
Dr Mukesh 'Aseemit'
प्रेम मोहब्बत इश्क के नाते जग में देखा है बहुतेरे,
प्रेम मोहब्बत इश्क के नाते जग में देखा है बहुतेरे,
Anamika Tiwari 'annpurna '
गोवर्धन गिरधारी, प्रभु रक्षा करो हमारी।
गोवर्धन गिरधारी, प्रभु रक्षा करो हमारी।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
एक चिंगारी ही काफी है शहर को जलाने के लिए
एक चिंगारी ही काफी है शहर को जलाने के लिए
डॉ. दीपक बवेजा
* प्यार की बातें *
* प्यार की बातें *
surenderpal vaidya
"इंसान, इंसान में भगवान् ढूंढ रहे हैं ll
पूर्वार्थ
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
Kalamkash
विश्वास की नाप
विश्वास की नाप
डॉ.सतगुरु प्रेमी
"भेड़ चाल"
Khajan Singh Nain
प्राकृतिक जब ठहर जाती है।
प्राकृतिक जब ठहर जाती है।
Rj Anand Prajapati
2709.*पूर्णिका*
2709.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"सुनो तो"
Dr. Kishan tandon kranti
थे हम
थे हम
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अपनों को दे फायदा ,
अपनों को दे फायदा ,
sushil sarna
सि
सि
*प्रणय*
सृष्टि का रहस्य
सृष्टि का रहस्य
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
विवेकवान कैसे बनें। ~ रविकेश झा
विवेकवान कैसे बनें। ~ रविकेश झा
Ravikesh Jha
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी
लक्ष्मी सिंह
गुलाब
गुलाब
Shutisha Rajput
सामंजस्य हमसे बिठाओगे कैसे
सामंजस्य हमसे बिठाओगे कैसे
डॉ. एकान्त नेगी
तालाश
तालाश
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
परिवर्तन ही स्थिर है
परिवर्तन ही स्थिर है
Abhishek Paswan
अपने ग़मों को लेकर कहीं और न जाया जाए।
अपने ग़मों को लेकर कहीं और न जाया जाए।
Harminder Kaur
कर ले प्यार
कर ले प्यार
Ashwani Kumar Jaiswal
Loading...