संदली पवन
संदली पवन
लिपटे तन संदली पवन
ज्यूँ तेरा प्रणय आलिंगन
म्रियमाण सी काया अंदर
जीवन चेतन स्पंदन दे भर
मलय समीर का मृदु चुंबन
अधर कंपित धूमिल लोचन
उमड़े उर स्मृतियों के हिलोर
प्रियतम तुम बिन कहूँ न ठोर
मलयानिल झोंको के संग
जो तुम आ जाते जीवन अंग
झंकृत हो जाते प्राणों के तार
अंतर्मन शीतल सौरभ संसार
रेखा