संत
वल्गा- संत
विद्या-दोहा मुक्तक
संत संत अब हैं नहीं,सतपथ दीना छोड़।
भाव भक्ति भुला दिये,लगी स्वांग में होड़।
धन भंडारे भर रहे, सभी चोर पर मोर,
कौन प्रथम पहुंचे नरक, लगा रहे हैं दौड़।
नीलम शर्मा
वल्गा- संत
विद्या-दोहा मुक्तक
संत संत अब हैं नहीं,सतपथ दीना छोड़।
भाव भक्ति भुला दिये,लगी स्वांग में होड़।
धन भंडारे भर रहे, सभी चोर पर मोर,
कौन प्रथम पहुंचे नरक, लगा रहे हैं दौड़।
नीलम शर्मा