संत
संत
सुसंत लक्षणम इदं न वैर-द्वेष भावना।
सभी मनुष्य -जीव-जंतु ब्रह्म रूप ध्यानना।
जगत समग्र ईश्वरीय ब्रह्मलोक जानना।
सजी-धजी वसुंधरा निवास देव मानना।
रहे सदैव प्रेम से प्रशांत संत चित्त है।
अभेद दृष्टि काम-क्रोध-लोभ मुक्त वृत्त है।
हृदय प्रधान द्वंद्वमुक्त सात्विकी मनोरथम।
अनेक भावशून्यता विशुद्ध ब्रह्म उच्चतम।
स्वदेश भाव दिव्य भाव विश्व भाव एकता।
अभिन्न भव्य कामना स्व -जन स्वभाव नेकता।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।