संत था वो एक महान
संत था वो एक महान
दिया जिसने देश की खातिर बलिदान
चलता था लाठी को ले पहनकर धोती
बुनता चरखे से वस्त्रों को एक साथ
करके आंदोलन ढेर सारे
बचाया देश को गुलामी से
फिरंगियों से आजाद कराके
बढाई उसने भारत की शान
कूद पड़ा लडाई में आज़ादी की
दिलाकर आज़ादी रच लिया नया
संविधान
जा रहे थे प्रार्थना सभा होके बेखबर
और अनजान
आया एक हत्यारा उसने ले लिए
बापू के प्राण
बोल पाए तो बस हे राम
ऐसे हमारे बापू गांधी ने गवाई
अपनी जान।।
“कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक