संतुलित रखो जगदीश
निराकार साकार सब
रूपों में जग विख्यात
मेरी भव बाधा दूर करो
मां शैल सुता के नाथ
कृपा आपकी पाकर
तरे साधु संत महंत
नित महिमा गाते रहते
राम और कृष्ण, अनंत
जीवन पथ पर बढ़ता
रहूं पाकर तव आशीष
मानवीय मूल्यों में रमे
हिय,कृपा करें वागीश
मनसा, वाचा, कर्मणा यूं
संतुलित रखो जगदीश
कभी समाज में बरबस
झुकने न पाए मेरा शीश