” संतुलन “
बड़ी मुश्किलें हैं जीवन में…
ज़बान से शहद हटा के
सच की मिर्ची में
शब्द घोल कर बोलती हूँ
फिर भी डाईबिटिज ले डोलती हूँ ,
तीखा – कड़वा सच सुन कर
सच्चे खुश होते हैं मुझे चुन कर ,
वो बात अलग है कि…
सच्चे कम हैं
पर इस ” थोड़े ” में भी दम है ,
ये ” थोड़े ” जीवन की मिठास हैं
इनके बिना तो मिठास में भी खटास है ,
बिना परहेज़ डाईबिटिज का संतुलन बिगड़ जाता है
फिर तो इंसुलीन का ही सहारा काम आता है ,
मेरे शुगर का संतुलन बिगड़ने पर
ये ” थोड़े ” मेरे जीवन को संतुलित करते हैं
जो मिठास बिना चीनी के अधूरी है
ये ” थोड़े ” से लोग मेरे साथ होकर
उस कमी को पूरी करते हैं ।।।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा 09/08/18 )