संजीवनी लाने चला हनुमान
कैसा विधान है ये कैसी माया है
आज शोक भगवन पर ही छाया है
भाई लक्ष्मण गोद में मूर्क्षित है पड़ा
चिन्ता में भगवन का शरीर है गड़ा
लक्ष्मण बिना वो जीकर क्या करेगा
क्या वह भी अब उनके साथ ही मरेगा
कैसी हो रही है आज कठिन परीक्षा
कोई दे उन्हें भाई के प्राण की भिक्षा
वैद्य ने कहा प्राण अगर बचाना है
सूर्योदय पूर्व संजीवनी बूटी लाना है
इस कठिन कार्य को कौन कर सकता
मेरे अनुज का कष्ट कौन हर सकता
वीर हनुमान ही है अब एक विकल्प
अगर वह कर ले अपने मन में संकल्प
प्रभू राम की आज्ञा का पाकर कमान
संजीवनी लाने चल पड़ा वीर हनुमान
इतनी तीव्रता क्यों जैसे ऑंधी हो आई
अचानक सूर्य ने पीछे से हाॅंक लगाई
तेरी पूर्व की चपलता आज कहाॅं गई
चेहरे पर तो विपदा ही विपदा है छाई
पलट कर हनुमान ने कहा ध्यान देंगे
लौटने से पहले सूर्योदय मत होने देंगे
मुझमें तो केवल विपदा का अंश है
संकट में आज आपका ही सूर्य वंश है
पथ की बाधाओं का करते हुए सामना
जल्द ही पर्वत पर पहुॅंचने की कामना
हनुमान तीव्रता से आगे बढ़ रहा है
विलम्ब न हो प्रभू का नाम पढ़ रहा है
वहाॅं पर पहचान की समस्या आन पड़ी
संजीवनी की है इसमें से कौन सी जड़ी
अब देर तक नहीं रहेगा एक पल खड़ा
हनुमान पर्वत उठा कर ही चल पड़ा