संजलि अब तुम डरना !
संजलि अब तुम डरना,
हमारे बदले,
हमारे देश में,
देश हित में नया कानून पारित हुआ है।
डरना मना है, डर नहीं सकते
कुछ भी हो जाए, पर
तुम डर नहीं सकते एलान हुआ है ।
डरे अगर तो, देश द्रोही माना जायेगा
देश निकला दिया जायेगा,
पाकिस्तान भेजा जायेगा ,
हमारी तमाम डरों को
संदूक में बंद करने की कोशिस है।
पर तुम डरना,
तुम आत्मसात करना
हमारी डरों को, क्यों कि
डर कि अधिकता परिवर्तन पुकरता है
और परिवर्तन क्रांति के पीठ पे चढ़ के आती है।
हम डर नहीं सकते,इस लिए तुम डरना
हम बोल भी नहीं सकते
कि हमे डर लग रहा है,
हमारे बच्चों के लिए,
हमारी बेटियों के लिए,
उनके जीवन और इज्जत के लिए
उन बापों के लिए जिन्हे कभी थाने में,
तो कभी चौराहे पे मार दिया जाता है,
या उन गुरुओं के लिए जो हमारे बच्चों को शिक्षा देते हैं,
उनके सरकार बिरोधी टिपन्नी पे उनका लिंचिंग किया जाता है
हम डरे हुए हैं स्वामी अग्निवेश को दौराके पीटने पे
पर हम बोल नहीं सकते कि हम डरे हुए हैं।
हमारे होठों पे,
हमारे शब्दों पे पहरे लगाए गए हैं।
हमे भीतर -भीतर ही डरना है
डर का नाम भी अपनी जुवान पे लाए बीना।
हमारी आँखो को बर्फ का टुकड़ा बने रहने की
सजा दी गई है, वो देख तो सकता है
पर पीड़ा को महसूस नहीं सकता
उस में आँसू लाने कि भी मनाही है।
रो नहीं सकते,
रोने से हमारे राजा का राम राज्य का भ्र्म जो टूटता है
इस लिए बच्चे तुम डरो, तुम रोओ
क्यों कि तुम जितना डरोगी, जितना रोओगी
हमे ताकत मिलेगी कुछ करने कि, परिवर्तन लाने की,
इस्थिति को बदलने की, तुम्हारे डर और चीख से
हमारी मुर्दा हाँथो को लहु से लिखी इबारत मिटाने की ताकत मिलेगी
उस डर और पीड़ा को दिग्दिगंत तक पहुंचाने की बारी तुम्हारी है
तुम सब कि जिन्हें धकेला गया है मौत के मुह में ज़बरन !
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24 – 12 – 2018
मुग्धा सिद्धार्थ