तन्हाईयों में…
आज बस यूँ ही…..
? ? ? ?
तन्हाईयों में…
यादों की
इन सूखी शाख पर
ना जाने
कितने ही
अनगिनत कोपल
निकल आये हैं।
कुछ हरे से,
कुछ पीले से,
कुछ लाल,
कुछ सुनहरे,
बैगनी से।
ये कोमल से
नर्म-मुलायम कोपल
कितने मधुर,
कितने सुन्दर हैं।
जो मेरे मन को,
अन्तर-तरंग को
आनंद से
आह्लादित करते हैं।
दिल के हर कोने को
खुश्बू से
महकाते हैं।
लब पे
मीठी-मीठी-सी
मुस्कान बिखेरते हैं।
आँखों से
कुछ ओस की बूँद-सी
छलक आते हैं।
तन्हाईयों में…….
? ? ? -लक्ष्मी सिंह ? ☺