संघर्ष
मैं थका जरूर हूं।
पर हरा नहीं हूं।
मुझ में हिम्मत अभी बाकी है।
मैं असफल जरूर हुआ हूं।।
पर संघर्ष करना अभी बाकी है।
असफलता तो जिंदगी का हिस्सा है।
हिम्मत तो भरपूर है मुझ में,
इसलिए अभी तक सांस बाकी है।
धीरे-धीरे ही सही में मंजिल तक पहुंचूंगा।
खरगोश ना सही,
कछुआ बनकर आगे बढूंगा।
सुशील कुमार चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार