“संघर्ष”
संघर्ष करो संघर्ष करो
संघर्ष हमारा नारा हो।
जीवन पथ पर बढे चलो
यह जीवन सबसे न्यारा हो।
लिया जनम धरा पे जिसने
वही आंख कान सब पाए हैं।
जीवन पथ पर चलते चलते
कुछ वीरों ने ही नाम कमाए हैं।
संघर्ष बिना इस जीवन में
किसने सोहरत पाई है।
बापू तिलक सुभाष ने भी
संघर्ष में ही जान गवाई है।
संघर्षों का हर क्षण
दिल में उतर सा जाता है।
खुशियों का सारा जीवन भी
ना जाने कब ढल जाता है।
संघर्ष करने से मानव को
जीवन जीना आता है।
संघर्ष बिना जीवन को
बिन जाने ही मर जाता है।
जीवन जीने की नहीं
संघर्षों की कहानी गढता है
आने वाला हर मानव।
उस आदर्श को ही पढता है।
कोयला संघर्ष करते-करते
कोहिनूर बन जाता है।
मानव संघर्षों पर चलकर
मानव रत्न बन जाता है।
प्रशांत शर्मा “सरल”
नरसिंहपुर