संघर्ष
संघर्ष
संघर्ष मेरा पूर्ण कहाँ
अभी पंथ है शेष
बिसरा उर के नीरव क्रंदन
तज सारे मोह के बंधन
कंटक पथ दूँ कलियाँ बिछा
मस्तक लूँ स्वाभिमान सजा
घोर तिमिर छाया से निकल
बनूँ दीपक ज्योत सकल
स्नेह लौ की तूलिका से
लिखूँ नया इतिहास उज्जवल
तोड़ बेड़ियाँ,खोखली परंपरा
छू लूँ सपनों को ज़रा ज़रा
कर जाऊँ ऐसे कार्य महान
झुकता नभ,चूमे क़दम धरा
संघर्ष मेरा पूर्ण कहाँ
अभी पंथ है शेष
रेखा