संघर्ष
जिन्दगी इतनी
मुश्किल भी नहीं
जीने की
कोशिश तो करें
अटक जाये
कभी मंजिल
संघर्ष तो करें
जो आ के
यादों में गुम हो जाये
अपने हो कर भी
बेबफा हो जाये
उन्हें भुलाने की
कोशिश तो करें
दिया है जन्म जिसने
भूला दिया तूने उसे ही
न रहेगा हाथ सिर पर
दुआ तू कैसे पायेगा
गुजर जायेगी उम्र
मौज मस्ती में
रह जायेगा
अकेला बुढापे में
जब हो जरूरत साथ की
मौला का हाथ थामने की
कोशिश तो करें
हर कोई मशरूफ है
साथ अपने यारों के
मेहनतकश के साथ
कुछ पल गुज़ारने की
कोशिश तो करें
घमंड था ” संतोष ”
उसे बड़ा अपने यार पर
निभायेगा साथ वो
जिन्दगी भर
छोड़ दिया हाथ उसने
बीच मझधार में
फिर भी बढने की
कोशिश तो करें
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल