Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jul 2024 · 1 min read

संघर्ष हमेशा खाली पन में ही अक्सर होता है

संघर्ष हमेशा खाली पन में ही अक्सर होता है
जेब भरी रहे तो संघर्ष कहां।।।

संघर्ष उस सफर का नाम है जो आप ना चाहते हुए भी कर रहे है —
अपने परिवार के लिए, अपनों के लिए, अपने सपने के लिए।।।

जबतक खाली है आपकी जेब बस अपने आंखों को भर लीजिए सपनो से, जुनून से और निकल पड़िए रास्ते पे।
जहां आपको अकेला ही सफर करना पड़ेगा ना कोई साथी होगा ना कोई हमसफर।।।
सिर्फ आप होंगे ।।।।

158 Views

You may also like these posts

राष्ट्रीय एकता और अखंडता
राष्ट्रीय एकता और अखंडता
Rahul Singh
सिर की सफेदी
सिर की सफेदी
Khajan Singh Nain
वक्त वक्त की बात है ,
वक्त वक्त की बात है ,
Yogendra Chaturwedi
कुर्सी
कुर्सी
Bodhisatva kastooriya
मेरी बिटिया
मेरी बिटिया
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
पता नहीं गुरुदेव
पता नहीं गुरुदेव
लक्की सिंह चौहान
चलो हम दोनों हमसफर बन जाते हैं
चलो हम दोनों हमसफर बन जाते हैं
Jyoti Roshni
मौत से अपनी यारी तो,
मौत से अपनी यारी तो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुझ से दो दिन अलग रही है तू
मुझ से दो दिन अलग रही है तू
Sandeep Thakur
आओ उस प्रभु के दर्शन कर लो।
आओ उस प्रभु के दर्शन कर लो।
Buddha Prakash
तुम्हारी याद
तुम्हारी याद
महेश चन्द्र त्रिपाठी
"ढूँढ़िए"
Dr. Kishan tandon kranti
बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
Shweta Soni
क्या फर्क पड़ेगा
क्या फर्क पड़ेगा
Dr. Man Mohan Krishna
रिश्ते सालों साल चलते हैं जब तक
रिश्ते सालों साल चलते हैं जब तक
Sonam Puneet Dubey
सफाई इस तरह कुछ मुझसे दिए जा रहे हो।
सफाई इस तरह कुछ मुझसे दिए जा रहे हो।
Manoj Mahato
गुत्थियों का हल आसान नही .....
गुत्थियों का हल आसान नही .....
Rohit yadav
कर्मयोगी संत शिरोमणि गाडगे
कर्मयोगी संत शिरोमणि गाडगे
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
वो ओस की बूंदे और यादें
वो ओस की बूंदे और यादें
Neeraj Agarwal
पुष्प की व्यथा
पुष्प की व्यथा
Shyam Sundar Subramanian
😊उर्दू में दोहा😊
😊उर्दू में दोहा😊
*प्रणय*
आए थे जो डूबने, पानी में इस बार ।
आए थे जो डूबने, पानी में इस बार ।
RAMESH SHARMA
- में अब अकेला जीना चाहता हु -
- में अब अकेला जीना चाहता हु -
bharat gehlot
*फिर से राम अयोध्या आए, रामराज्य को लाने को (गीत)*
*फिर से राम अयोध्या आए, रामराज्य को लाने को (गीत)*
Ravi Prakash
दिल है पाषाण तो आँखों को रुलाएँ कैसे
दिल है पाषाण तो आँखों को रुलाएँ कैसे
Dr Archana Gupta
वियोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
वियोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
Ajit Kumar "Karn"
दूहौ
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
शेखर सिंह
3266.*पूर्णिका*
3266.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मौन के प्रतिमान
मौन के प्रतिमान
Davina Amar Thakral
Loading...