संग तेरे रहने आया हूॅं
गीत
संग तेरे रहने आया हूॅं
मुझको चिढ़ा रही है काली
कोयल हो-हो कर मतवाली,
नागिन बनकर डंक मारतीं
माघ-पूस की रातें काली,
चपल चांदनी की लहरों में
हाथ थाम बहने आया हूॅं।। 1 ।।
जीवन के इस दुर्गम पथ पर
बेकल हो भरता हूॅं आहें,
तुमको आलिंगन में लेने
को उठ जाती हैं यह बाहें,
संकोचों के ऑंचल को मैं
फेंक तुझे गहने आया हूॅं।। 2 ।।
मौन भाव है घुटन दे रहा
अब तो तुम खामोशी तोड़ो,
द्वार तिहारे याचक हूॅं मैं
देखो मुझसे मुख मत मोड़ो,
छोड़-छाड़ सब गिला शिकायत
माफ करो कहने आया हूॅं।। 3 ।।
हलचल मची हुई है जग में
तेरे पीछे भाग रहा हूॅं,
लोग समझते हैं बेसुध हूॅं
जबकि पूरा जाग रहा हूॅं,
है अभाव में जीवन लेकिन
भावों में बहने आया हूॅं।। 4 ।।
© नंदलाल सिंह ‘कांतिपति’
ग्राम- गांगीटीकर पड़री
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